निष्पक्ष पत्रकारिता के बदले अमीर हमजा को मिला फर्जी केस और जेल

बीते 18 जून को पटना में लोजपा (रामविलास) पार्टी के सुप्रीमो और दलित नेता चिराग पासवान की मौन मोर्चा को कवर करते समय ‘द ऐक्टिविस्ट’ के रिपोर्टर अमीर हमजा को गिरफ्तार कर लिया गया। हमजा उस वक्त केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना पर कुछ महिलाओं से प्रतिक्रिया ले रहे थे। महिलाएँ इस योजना की ख़ामियाँ गिनवा रहीं थीं और इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेवार ठहरा रही थीं। जिसे सुनकर पटना (सेंट्रल) के सिटी एसपी अंबरीष राहुल ने हमजा को रोका और वहाँ से हटने के लिए कहा।

हमजा अपनी रिपोर्टिंग रोकर सिटी एसपी से पूछते हैं कि रिपोर्टिंग करने कहाँ जाए। इसके बाद सिटी एसपी कहते हैं – यहाँ से आधा किलोमीटर आगे और हमजा को जोर से धक्का मार देते है और पुलिस की भीड़ के बीच भाग जाते हैं। अमीर हमजा इस बात का विरोध करते है और कहते हैं कि “आपने कैमरे पर हाथ चलाया है।”

इसके पश्चात एसपी साहब ने पुलिसकर्मियों से कहा कि ‘इन्हें गाड़ी में बिठा लीजिए।’ अमीर हमजा की गिरफ्तारी के विरोध में जब वहाँ मौजूद सोशल मीडिया के पत्रकारों ने विरोध किया तब तीन और पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया।

चारों पत्रकारों को चौबीस घंटे से ज़्यादा देर पुलिस हिरासत में रखा गया। जिसके बाद तीन पत्रकारों को बॉंड भरवा कर छोड़ दिया गया लेकिन अमीर हमजा पर फर्जी प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया।

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द ऐक्टिविस्ट के संपादक और सोशल ऐक्टिविस्ट वेद प्रकाश ने बताया कि “अमीर हमजा को मुस्लिम की आवाज बनने के कारण और दलित-वंचित डोमेन में काम करने वाले चैनल से जुड़े होने का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा”

अमीर हमजा पर किए गये फर्जी मुकदमे को वापस लेने और उनकी रिहाई के लिए ट्विटर पर लगातार लिखा जा रहा है।

खबर लिखे जाने तक हमजा के लिए लिखे गये ट्वीट को एक लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है और लगभग पाँच हजार बार रीट्वीट किया जा चुका है। देश के जाने-माने बुद्धिजीवियों ने हमजा के लिए आवाज बुलंद किया है।

पत्रकार अनमोल प्रीतम ने अपने ट्वीट में लिखा कि “आमिर हमजा का गुनाह बस इतना है वो आमिर है आलोक या अर्नब नहीं।” इस ट्वीट को भी लगभग एक लाख बार देखा गया है और लगभग चार हज़ार बार रीट्वीट किया गया है।

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