बिहार में हो रही जातीय जनगणना मामले में नीतीश कुमार को हाईकोर्ट से तगड़ा झटका मिला है। इस मामले में सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगा दी है। बता दें की पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस मामले पर कल हुई बहस के बाद आज गुरुवार को फैसला सुनाया है। वहीं इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी तब तक के लिए जातिगत जनगणना पर स्टे लगा दिया गया है। अब तक जनगणना के तहत जितने भी डाटा इकठ्ठा किये गए है उनको सुरक्षित रखा जाएगा।
बता दें की बिहार में हो रही जातीय जनगणना को रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका डाली गयी थी। जिसमें कहा गया था की जातीय जनगणना कराना केंद्र सरकार का अधिकार हैं न की राज्य सरकार का। अगर इसपर जल्द ही रोक नहीं लगाई गई तो यह असंवैधानिक होगा। हालांकि पहले यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गयी थी जहां पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार करते हुए हाईकोर्ट में याचिका को ले जाने की सलाह दी थी।
बता दें की बिहार में जातीय जनगणना का दूसरा चरण शुरू है। जो 15 अप्रैल से 15 मई तक होने वाली थी फ़िलहाल इस पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है। जातीय जनगणना का पहला चरण जनवरी में हुआ था जिसके तहत मकानों को एक यूनिक नंबर दिया गया था। वहीं दूसरे चरण में जनगणना प्रतिनिधियों द्वारा हर घर जाकर 17 सवाल पूछे जा रहे थे जिसके उनकी जाति की पहचान होती है और उनको एक कोड दिया जा रहा था। जो एक जाति की विशेष कोड है।
वहीं इस मामले पर नीतीश सरकार का कहना है की यह जनगणना नहीं है बल्कि जातीय जनगणना है इससे किसी की गोपनीयता भंग नहीं होगी बल्कि राज्य में आर्थिक सुधार होगा। सभी लोग अपनी जाति बताना चाहते है सिर्फ कुछ लोग ही इसका विरोध कर रहे हैं।