चौहरमल के जयंती पर आयोजित मेले में पहुंचे चिराग पासवान, कहा बिहार की बरबादी के जिम्मेदार नितीश कुमार

बाबा चौहरमल के जन्मदिन के अवसर पर बिहार के मोकामा जिले के चाराडीह गांव में तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया गया। जहां बिहार के लोक जन शक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवन पहुंचे थे। इस दौरान वहां लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा था। इस मेले में चिराग ने लोगों को सम्बोधित किया और आने वाले भविष्य में हर कदम पर साथ निभाने का वादा भी किया। बता दें की इस मेले का आयोजन चाराडीह में हर साल किया जाता है। पहले यहां रामविलास पासवान का अक्सर ही आना जाना होता था लेकिन उनके नहीं रहने पर चिराग पासवान ने यहां के लोगों का साथ नहीं छोड़ा। इस मेले में बिहार के पासवान समाज के लोगों की भीड़ ज्यादा रहती है। इसका एक मुख्य कारण यह भी है की बाबा चौहरमल भी दुसाध समाज से ही थे।

मेले में जनसभा को सम्बोधित करते हुए चिराग पासवान ने आम जनता से कहा की हर कदम पर आपके साथ रहूंगा, न टूटने वाला हूँ न झुकने वाला हूँ और डरता तो मैं किसी से नहीं हूँ। साथ ही उन्होंने नितीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा की चाहे जितनी भी कोशिश वो कर लें लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूँ। जब तक मैं बिहार को एक विकसित राज्य नहीं बना लूंगा तब तक मैं भी चैन की साँस नहीं लूंगा।

चिराग ने ये भी कहा कि कब तक हमारे प्रदेशों के लोग शिक्षा और अन्य जरूरतों के लिए दूसरे राज्यों में जाते रहेंगे। वहीं उन्होंने नितीश कुमार को बिहार की बरबादी का जिम्मेदार बताते हुए लोगों से अपील कि की जल्द ही उन्हें सत्ता से बाहर कर देना चाहिए। वहीं उन्होंने ये भी कहा कि इस लड़ाई में आम जनता के साथ कि भी जरूरत पड़ेगी क्योंकि मैं ये लड़ाई अकेले नहीं लड़ सकता। चिराग ने भावुक होकर अपने पिता रामविलास पासवान को याद करते हुए कहा की पहली बार मैं यहां अपने पिता के साथ आया था जिन्होंने आपलोगों से मेरा परिचय कराया। वहीं उन्होंने कहा की मैं अपने पिता द्वारा जनता से किये हर वादे को पूरा करूंगा और हर व्यक्ति की सपने को भी साकार करूंगा। साथ ही उन्होंने कहा की जनता के वादे पुरे करने के मेरे प्रयासों में कोई कमी नहीं होगी। जितना अपने चिराग पासवान को जितना स्नेह दिया है उससे अधिक ही पाएंगे।

बता दें कि बिहार में स्थित मोकामा जिले का चाराडीह गांव बाबा चौहरमल का जन्मस्थान है, जहां पर हर साल बाबा चौहरमल कि जयंती पर 3 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। वहीं इस दौरान राजनितिक पार्टिया भी अपने वोट बैंक साधने की तैयारियों में लग जाती है, क्योंकि यहां दुसाध समाज का गढ़ भी है।

बता दें की बाबा चौहरमल का जन्म बिहार के मोकामा जिले में एक दुसाध परिवार में 04 अप्रैल 1313 में हुआ था। इनके पिता का नाम बन्दीमल और माता का नाम रघुमती थी। चौहरमल को सामंती दमन के विरुद्ध विद्रोह के प्रतीक मन जाता है। इसलिए इनको एक योद्धा के रूप में पूजा जाता है। बाबा चौहरमल को नैतिकता, मानवता, त्याग और शक्ति के प्रतिमूर्ति कहा जाता है। वहीं यहां के लोगों का कहना है कि जब भी मान-सम्मान की रक्षा की बात आती है, चौहरमल बरबस ही स्मृति में आ जाते है। क्योंकि उन्होंने चरम छुआछूत के माहौल में भी शान और स्वाभिमान को शीर्ष पर बनाये रखा।