दिल्ली मेट्रो का वायरल वीडियो क्या बन सकता है अश्लीलता का आधार, जानें क्या कहता है क़ानून

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो काफ़ी ज़्यादा वायरल हो रहा है जिसमें दिल्ली मेट्रो में सफर कर रही एक लड़की ने काफी छोटे कपड़े पहन रखे हैं। जिसे लेकर सोशल मीडिया पर एक बहस का मुद्दा छिड़ गया है कि ऐसे कपड़े पहनना कहां तक सही है। जहां कुछ लोग इसके पक्ष में हैं तो वहीं कुछ लोग इसके विरोध में भी बोल रहे हैं। ज्यादातर लोगों का कहना है की इससे समाज में अश्लीलता फैलता है, वहीं कुछ लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी का नाम दिया है और कहा है कि जिसे जो मन हो पहन सकता है। इसलिए हमें यह जानने की जरूरत है की अपनी मर्जी से कपड़े पहनने और अश्लीलता को हमारा कानून कैसे परिभाषित करता है।

‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के तहत क़ानून

आर्टिकल 19 में ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ को परिभाषित किया गया है। जिसके अनुसार बोलकर या लिखकर अपने विचार व्यक्त करने की आज़ादी हर व्यक्ति को है। देश के किसी भी हिस्से में बसने की, रहने की और व्यापार करने कि आज़ादी देश के हर नागरिक को है।

बिना हथियार देश में कहीं भी इकठ्ठा होने और देश के किसी भी हिस्से में घूमने की आज़ादी, संगठन बनाने कि आज़ादी हर व्यक्ति को है।हालाँकि इसके लिए कुछ शर्तों का निर्धारण किया गया है। जिसके अंतर्गत कहा गया है की अगर आप अपने अधिकार को इस्तेमाल करते हो तो इसके साथ ये ध्यान देना ज़रूरी है की इससे देश की संप्रभुता और एकता को कोई ख़तरा ना हो, आम लोगों का जनजीवन भी अस्त व्यस्त ना हो, देश की सुरक्षा प्रभावित ना हो, वहीं लोगों की भावनाओं को भी ठेस ना पहुंचे।

वहीं अगर हम दिल्ली मेट्रो की घटना पर बात करें तो भारत में अश्लीलता को लेकर कानून तो है, लेकिन इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। बता दें की IPC सेक्शन 292 और IT एक्ट सेक्शन 67 में वैसे चीजों को अश्लील बताया गया है जो कामुक है, या कामुकता पैदा करता है और इसे पढ़ने, देखने और सुनने वाले व्यक्ति को बिगाड़ दे।

वहीं ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने वाले लोगों के लिए अलग-अलग तरह से कानून बनाया गया है। इसके तहत पहली बार दोषी पाए जाने पर 2 साल कैद और 2000 रुपए के जुर्माने की सजा होती है। वहीं दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 5 साल कैद और 5000 रुपए तक के जुर्माने की सजा है।

वहीं अगर दिल्ली मेट्रों बात करें तो बस, रेल या मेट्रो जैसी जगहों पर यात्रा करने के लिए वैसे तो लिखित में काेई ड्रेस कोड निर्धारित नहीं किया गया। लेकिन किसी भी व्यक्ति को यात्रा के दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए की है कि उसकी वजह से किसी अन्य व्यक्ति को कोई भी परेशानी न हो या फिर आप किसी भी तरह से अश्लीलता न फैला रहे हो।

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दिल्ली मेट्रो के भी अपने नियम है जिसकी धारा 59 के तहत कहा गया है की मेट्रो में अभद्रता या अश्लीलता करने पर उसे बैन कर दिया जाता है और 500 रुपए का जुर्माना भी देना पड़ता है। धारा 59 के तहत मेट्रो में कोई भी व्यक्ति नशे में हो या उपद्रव या अभद्रता करता है, गाली और अश्लील भाषा का उपयोग करता है या फिर जानबूझकर या किसी बहाने से किसी यात्री को परेशान करता है तो उस पर जुर्माना लगाने के साथ-साथ उसे दंड देने का प्रावधान भी है। यहाँ तक कि उस पर 500 रुपए तक जुर्माना भी लग सकता है और उसका पास, टिकट जब्त किया जा सकता है। यहां तक कि उसे मेट्रो या उस कंपार्टमेंट से उतारा जा सकता है।

अश्लीलता को लेकर क्या कहता है देश का क़ानून

भारतीय क़ानून में अश्लीलता शब्द को लेकर कोई भी व्याख्या नही है। इससे समाज में निगेटिव असर ना पड़े उस हिसाब से परिभाषित किया गया है। किसी के कपड़ों या हरकतों से समाज पर क्या असर पड़ता है, इस हिसाब से अश्लीलता का क़ानून तय किया जाता है।

अक्सर महिलाओं को कपड़ों को लेकर टारगेट किया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है की पुरुष इससे अछूते हैं। अभी कुछ समय पहले बिहार के एक नेताजी का अंडर गारमेंट्स पहने एक वीडियो वायरल हुआ था जिसके बाद एक सहयात्री के शिकायत के उनपर कार्रवाई की गयी। उनपर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की गयी थी। जिसके बाद यह मामला काफी ज्यादा हाई लाइट हुआ था।