पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने आनंद मोहन द्वारा जताई हत्या की आशंका, की पुलिस सुरक्षा की मांग

पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने बिहार माफिया आनंद मोहन द्वारा खुद की जान का खतरा बताते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने आनंद मोहन पर आरोप लगाते हुए कहा है की आनंद मोहन की रिहाई के विरुध्द हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने पर आनंद मोहन गिरोह द्वारा मेरी हत्या की साजिश रची जा रही है। इसलिए जल्द ही सिक्योरिटी प्रदान की जाए। वहीं उन्होंने आनंद मोहन को नीतीश का करीबी बताते हुए कहा की आनंद मोहन को मुख्यमंत्री नितीश कुमार का आशीर्वाद प्राप्त है।

बता दें की दलित आईएएस जी कृष्णैया के हत्या मामले में 15 साल तक जेल में बंद रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन को असमय ही जेल से रिहा कर दिया गया है। उसकी यह रिहाई नीतीश सरकार द्वारा जेल के मेन्युअल में बदलाव करने के बाद की गयी है। जिसके बाद इसका खुलकर विरोध किया जा रहा है। वहीं आईएएस एसोसिएशन ने भी आनंद मोहन के रिहाई पर बिहार सरकार के फैसले पर विरोध जताया है। जबकि जदयू और आरजेडी का कहना है की यह रिहाई कानून के नियमों के तहत ही हुआ है।

बिहार माफिया की रिहाई पर आज भले ही सभी लोग खुल कर इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन इससे पहले जब नीतीश कुमार ने आनंद मोहन कि रिहाई का ऐलान किया था, उस समय जहां पहले सभी राजनीतिक पार्टिया इसपर कुछ भी कहने से बच रही थी वहीं पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने शुरू से ही इसका खुलकर विरोध किया है। जिसके बाद अब उन्होंने अपनी हत्या की आशंका जताते हुए सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने पुलिस महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि खूंखार अपराधी आनंद मोहन की रिहाई के विरुद्द पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद से ही आनंद मोहन गिरोह द्वारा उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है। उन्होंने आनंद मोहन पर आरोप लगाते हुए कहा की आनंद मोहन ने शूटरों को हत्या कि सुपारी दे दी है और मुझे जी कृष्णैया के पास भेजने की तैयारी की जा रही है।

वहीं उन्होंने आनंद मोहन को नीतीश कुमार का खास बताते हुए कहा की उनपर नीतीश कुमार का आशीर्वाद प्राप्त है। जल्द ही मुझे सुरक्षा प्रदान की जाये नहीं तो मेरी हत्या की जिम्मेदारी बिहार सरकार पर होगी।

आपको बता दें की 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया के हत्या मामले में आनंद मोहन सारण जेल में करीब 15 साल तक रहे। जी कृष्णैया तमिलनाडु के एक दलित परिवार से थे। जिनकी हत्या के बाद बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उनकी पत्नी को न्याय का भरोसा दिलाया था। वही आनंद मोहन को हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी जिसे बाद में उमकैद में बदल दिया गया।

वहीं अब नीतीश की महागठबंधन की सरकार ने जेल मेन्युअल में बदलाव कर आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया है। जिसका लगातार विरोध किया जा रहा है। वहीं इस पर बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी ट्वीट कर नीतीश सरकार से पुनर्विचार करने और दलितों में रोष की बात कही थी। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी ने अपना बयान देते हआ कहा था की आनंद मोहन की रिहाई कानून के नियमों के तहत ही हुआ है। वही इस मामले में बीजेपी भी दो ग्रुप में बटीं हुई नज़र आ रही है। बीजेपी के कुछ नेता इसका समर्थन कर रहे हैं तो वहीं अमित शाह ने इसका विरोध किया है।

वहीं इस मामले में कुछ राजनीतिज्ञों ने इसे नीतीश कुमार का राजनीतिक स्टंट बताया है और कहा है कि यह आगामी लोकसभा चुनाव में राजपूत वोट साधने का प्रयास है जिसके लिए नीतीश कुमार ने अभी से तैयारी शरू कर दी है। वही इसमें आनंद मोहन के साथ-साथ 26 और अपराधियों को मुक्त किया गया है। जो की चुनाव में नीतीश कुमार के बहुत काम आने वाले है।