एनसीईआरटी की पुस्तक से गायब हुए मौलाना अबुल कलाम आजाद

जहां एक तरफ सरकार यंग जेनेरेशन द्वारा महापुरुषों को याद करने को लेकर अनेक तरह के कार्यक्रम आयोजित करती है ताकि आने वाला भविष्य इससे अछूता ना रहे। वहीं दूसरी तरफ एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में बदलाव कर कुछ महत्वपूर्ण लोगों के नाम हटाकर इतिहास से छेड़छाड़ भी कर रही है। जिससे राजनीतिक गतिरोध फिर से गहरा गया है।

दरअसल मामला यह है की एनसीईआरटी की पुस्तक ‘राजनीतिक विज्ञान’ से मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम हटा दिया गया हैं। इतिहास के पहले वर्जन में जहां ‘संविधान क्यों और कैसे’ खंड में समितियों की बैठक के शुरुआत में जवाहर लाल नेहरू, भीमराव अम्बेडकर और अन्य लोगों के साथ मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम भी हुआ करता था, वहीं संशोधित किताब में अब ये नाम गायब है। हालाँकि अभी तक एनसीआरटी की तरफ से इस पर कुछ नहीं कहा गया है।

एक मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इससे पहले भी ऐसा हो चूका है। एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल का इतिहास और महात्मा गांधी की हत्या से संबंधित विषय को हटा दिया गया है। जानकारी के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि महामारी के समय छात्रों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। वहीं इस पर कुछ इतिहासकारो का कहना है की ये केंद्र सरकार का अपना राजनीतिक एजेंडा है। वहीं उनका यह भी कहना है की छात्रों को विकृत इतिहास पढ़ाया जा रहा है।

एक इतिहासकार का यह भी कहना है की स्वतंत्र भारत के शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने सभी को मुफ्त शिक्षा देने का भी सुनिश्चित किया। तथा उन्होंने कई जगह अपना महत्वपूर्ण भाषण भी दिए। यह एक दुर्भाग्य है की पाठ्यपुस्तक से उनका नाम हटा दिया गया। वहीं उन्होंने यह भी बताया की पहले जहां अल्पसंख्यकों को आज़ाद के नामसे छात्रवृति दी जाती थी वहीं अब इसे बंद कर दिया गया है।