बिहारशरीफ के आबकारी थाने के पुलिसकर्मी के कानों में जैसे ही बुद्ध और आंबेडकर का नाम सुनाई पड़ता है। वह गुस्से से आग-बबूला हो जाता है। नालंदा जिले के संजय कुमार उर्फ एकलव्य बौद्ध के अनुसार आंबेडकर के प्रति उस पुलिसकर्मी के मन में ऐसी नफरत होती है कि वह उनके नाम के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए भद्दी-भद्दी गालियाँ देने लगता है। मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर एडीजी (कमजोर वर्ग) अनिल किशोर यादव ने एक्शन लिया है।
घटना नालंदा जिले के बिहारशरीफ आबकारी थाने की है। जहां इमादपुर मोहल्ले के संजय कुमार उर्फ एकलव्य बौद्ध के फूफेरे भाई नशे के केस में बंद थे। बीते 13 जुलाई को जब संजय थाना पहुँचते हैं तब उनसे उनका नाम और पता पूछा जाता है। संजय अपने परिचय में अपने नाम के साथ-साथ खुद को भीम आर्मी एकता मिशन और भारतीय बौद्ध महासभा का सक्रिय सदस्य बताते हैं।
संजय ने बताया कि “भीम आर्मी और बौद्ध का नाम सुनते ही वहाँ उपस्थित बी.के. सिंह ने जातिसूचक शब्दों के साथ भद्दी-भद्दी गालियाँ देनी शुरू कर दी।”
गले में नीला गमछा देख कर भड़क गये पुलिसकर्मी
थाने में उपस्थित तीन पुलिसकर्मी संजय के गले में नीला गमछा देख कर भड़क जाते हैं और उनके साथ मार-पीट करने लगते हैं। उन्होंने बताया कि पुलिसवालों ने उसी नीले गमछे से उनके गले में फंदा डाल कर जान से मारने की कोशिश की।
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बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को भी दी गालियाँ
इस बाबत बिहारशरीफ आबकारी थाने में बाबा बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को ऐसी गंदी-गंदी गालियाँ दी जाती है जिसे हम यहाँ लिख भी नहीं सकते। पीड़ित के अनुसार उन्हें बेवजह घंटों तक पुलिस कस्टडी में रखा गया।
दर्ज नहीं हुई प्राथमिकी तो एडीजी अनिल किशोर यादव ने लिया एक्शन
इस पूरी घटना के बाद जब संजय कुमार ने आबकारी थाना बिहारशरीफ के अधिकारी बी.के. सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज करानी चाही तो उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। जिसके बाद पीड़ित ने ट्वीट कर एडीजी (कमजोर वर्ग) अनिल किशोर यादव को इस बात की जानकारी दी।
एडीजी अनिल किशोर यादव ने नालंदा ज़िले के डीएम और एसपी को चिट्ठी लिख कर कहा है कि “प्राथमिकी दर्ज करना हमारी बाध्यता है। अतः 48 घंटे के भीतर प्राथमिकी दर्ज कर विधि सम्मत कार्रवाई होनी चाहिए।”