अमित शाह के मुस्लिम आरक्षण ख़त्म करने के बयान पर ओवैसी ने किया पलटवार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तेलंगाना में एक रैली को सम्बोधित करते हुए भाजपा की सरकार बनने पर मुसलमानों के लिए आरक्षण खत्म करने का ऐलान किया है। रैली में अमित शाह ने धर्म आधारित आरक्षणों को “असंवैधानिक” बताते हुए उनकी आलोचना की और कहा कि यदि बीजेपी तेलंगाना में सत्ता में आती है तो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े समुदायों को अधिकार प्रदान करते हुए 4 प्रतिशत मुस्लिम कोटा खत्म कर देगी। शाह ने कहा, “यह अधिकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी का है।”

वहीं गृह मंत्री ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बीआरएस पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा की लड़ाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक “भ्रष्ट” शासन को “गद्दी से हटा” नहीं दिया जाता।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तेलंगाना के लिए केंद्र द्वारा शुरू किये गए कई योजनाएं गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। शाह ने कहा, “तेलंगाना में ऐसी कोई भी सरकार नहीं चल सकती जिसका ओवैसी के साथ है। हम उनसे डरते नहीं हैं। यहां की सरकार राज्य के लोगों के लिए काम करेगी न की ओवैसी के लिए।”

ओवैसी का पलटवार

राज्य में मुस्लिम कोटा खत्म करने के अपने वादे पर गृह मंत्री के भाषण पर ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के पास तेलंगाना के लिए “मुस्लिम विरोधी अभद्र भाषा” के अलावा और कुछ नहीं है। वे केवल फर्जी मुठभेड़, हैदराबाद पर सर्जिकल स्ट्राइक, कर्फ्यू, बुलडोजर और अपराधियों को रिहा कर सकते हैं। वहीं ओवैसी ने ये भी कहा की आप तेलंगाना के लोगों से इतनी नफरत क्यों करते हैं?

ओवैसी ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, “यदि श्री शाह एससी, एसटी और ओबीसी के लिए न्याय के बारे में गंभीर हैं, तो उन्हें 50% आरक्षण सीमा को हटाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पेश करना चाहिए।

बता दें की तेलंगाना में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होंगे। जहां भाजपा शासित कर्नाटक ने हाल ही में मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर दिया था और 10 मई के विधानसभा चुनाव से पहले इसे दो प्रमुख हिंदू समुदायों के बीच समान रूप से वितरित करने का फैसला किया था।

वहीं इस फैसले की आलोचना करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह कदम “अत्यधिक अस्थिर आधार” और “त्रुटिपूर्ण” प्रतीत होता है, वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्नाटक सरकार का फैसला 1992 में एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को पार कर गया था।