उपेन्द्र कुशवाहा ने क्यों किया इफ्तार पार्टियों का बहिष्कार, जानिए चौंका देने वाला कारण

रमजान के महीने में बिहार के राजनीतिक गलियारों में काफी गहमा-गहमी है। आखिर हो भी क्यों ना, क्योंकि ऐसे ही समय में ही तो बिहार के राजनीतिज्ञों के यहां इफ्तार पार्टी का आयोजन काफी जोर शोर से किया जाता है। बिहार में रमजान के महीने में इफ्तार पार्टी देने का ट्रेंड ही चल पड़ा है। जहां एक तरफ बिहार में हिंसा का दौर चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पार्टियों द्वारा इफ्तार का आयोजन किया जा रहा है। जिससे कई लोग खफा भी नज़र आ रहे हैं।

बता दें की बीजेपी की राह पर चलते हुए राष्ट्रिय जनता दल के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा ने भी इफ्तार पार्टियों से किनारा कर लिया है और उनका कहना है की एक तरफ जहां बिहार में रामनवमी के दिन हिंसा हो रही है वहीं दूसरी तरफ यहां इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने राजनीतिक इफ्तार दावतों पर तंज कसते हुए कहा की कही ऐसे जश्न ‘जले पर नमक छिड़कने’ जैसा न हो जाये। क्योंकि यह समय जश्न का मरहम बनने का है।

बता दें की उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट करते हुए लिखा है रमज़ान का पवित्र महीना चल रहा है। इफ्तार पार्टी का दौर शुरू हो गया है। मुझे भी कुछ प्रमुख जगहों से निमंत्रण मिला है/मिल रहा है। पार्टी के कई साथियों ने रालोजद की ओर से इफ्तार पार्टी के आयोजन की सलाह मुझे भी दी है ।

मेरी समझ से सासाराम, बिहार शरीफ आदि शहरों के वर्तमान हालात के मद्देनजर इफ्तार के नाम पर समारोह नहीं, बल्कि रोजेदारों की सहुलियत के प्रति गंभीर होना चाहिए क्योंकि फिलहाल जश्न नहीं जख्म पर मरहम की जरूरत है। शायद समारोह जले पर नमक छिड़कने जैसा न हो जाए।

बता दें की अभी कुछ दिनों पहले ही नितीश कुमार के आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था और आज राबड़ी आवास पर भी आरजेडी की तरफ से दावत का आयोजन किया गया है। इस दावत में महागठबंधन के नेताओं को निमंत्रित किया गया है, वहीं बीजेपी ने इससे किनारा कर लिया है और रालोजपा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा ने भी बीजेपी की राह पर चलते हुए इफ्तार दावतों से खुद को अलग कर लिया है।